Champaran Satyagraha Movement | चंपारण सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ था ?

Champaran Satyagraha Movement |चंपारण सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ था ?| गांधी जी के ऊपर हुआ केश

चंपारण सत्याग्रह क्या है? | चंपारण आंदोलन के क्या कारण थे?

अंग्रेजों की विरुद्ध महात्मा गांधी के द्वारा कई सारे आंदोलन किए थे, इसमे से ही एक आंदोलन चंपारण सत्याग्रह आंदोलन था। जो बिहार राज्य के एक जिला चंपारण मे 19 अप्रैल 1917 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन की मे किसानो पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ था, इसमे बिहार के कई महान व्यक्ति की भूमिका रही है। इस आंदोलन को इस साल सौ 104 साल पूरा हो चुका है, आखिर क्या था ये आंदोलन और क्यों किया गया था ये आंदलोन, आइये इसके बारे मे विस्तार से जानते है,

चम्पारण सत्याग्रह आंदोलन का इतिहास (History of Champaran Satyagraha Movement):

चंपारण मे अंग्रेज़ो द्वारा किसानो पर बहुत अत्याचार हुये थे, हुआ ये था, अंगेज़ सब यहा के किसानो से उनके ही खेत मे उनसे नील की खेती करवा रहे थे, जो 20/3 के अनुपात मे खेती करवा रहे थे। जिससे किसानो के खाना भी पूरा नही हो रहा था।और ज्यादातर खेतो का हिस्सा अंग्रेज़ो के लिए नील उत्पादन मे प्रयोग रहे थे।जिससे किसानो की खेती का स्वस्थ्य भी खराब हो रहा था, जिससे अन्न उत्पादन मे समस्या हो सकती है।और इस अत्याचार को देखते हुये, दो किसानो को महात्मा गांधी के बारे मे पता चला, जो लखनऊ मे थे। वो दो किसान के साथ साहूकार भी थे। जिनका नाम राज कुमार शुक्ल एवं संत राऊत था।

Champaran Satyagraha Movement

राज कुमार शुक्ला और संत राउत कौन थे:

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राजकुमार शुक्ला और संत राऊत चंपारण के साहूकार थे, इनके ही अनुरोध से महात्मा गांधी चंपारण बिहार मे आए थे, राजकुमार शुक्ला महात्मा गांधी से लखनऊ मे मिले थे , और इनको विश्वास था,की गांधी जी ही एक ऐसे आदमी है जो हमे इस समस्या से छुटकारा दिला सकते है, शुक्ला ने महात्मा गांधी से बिहार आने के लिए अनुरोध किया, लेकिन गांधी जी मे माना कर दिया।

क्योकि उकने पास समय की कमी थी, परंतु राजकुमार शुक्ल आड़े रहे, उन्हे किसी आंदोलन के लिए कोलकाता जाना था, बहुत अनुरोध करने के बाद महात्मा गांधी ने राजकुमार शुक्ला से वादा किया, कोलकाता के बाद बिहार आएंगे।और इस प्रकार से राजकुमार शुक्ला भी महात्मा गांधी के साथ कोलकाता चले गए।

चंपारण आंदोलन किस व्यवस्था के खिलाफ था?

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चंपारण आंदोलन किसानो के ऊपर हो रहे, अत्याचारो के किलफ था, इस आन्दोलन का उद्देश्य किसानो एवं उनके खेतो को स्वतंत्र कराना,

अब इस प्रकार से कोलकाता दौरा के बाद महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 को चंपारण पहुचें।चंपारण के किसानों पर हो रहे, अत्याचारों की जानकारी मिलने के बाद, गांधी जी ब्रज किशोर प्रसाद, राजेंद्र प्रसाद,  नारायण सिन्हा और रामनाथवी प्रसाद सहित अन्य सब लोगो ने मिलकर किसानो से मुलाक़ात की, और इसी सिलसिले मे कई सारे मे गावों का भ्रमण किया। फिर उन्होने ये महसूस किया की, यहाँ के किसान एवं नागरिक अशिक्षित है, और इन्हे शिक्षा की जरूरत है, फिर उन्होने ये कदम उठाया।

चंपारण मे महात्मा गांधी के द्वारा बनाया गया स्कूल:
  • इन सारे हालातो को देखते हुये, गांधी जी ने स्कूल बनाए का निर्णय लिया, इस प्रकार से उन्होने पहली स्कूल बरहरवा लखनसेन गांव में बनवाया।
  • स्कूल निर्माण के बाद, गाववालों को सफ़ाई के प्रति जागरूक किया, क्योंकि गंदगी का स्तर ज्यादा था।
  • यहाँ पर जाती के प्रति भेद-भाव को खत्म करने क लिए जागरूक किया।
  • बरहरवा लखनसेन मे पहला स्कूल बनाने के बाद, पश्चिम चंपारण के मधुबन में 17 जनवरी, 1918 को दूसरा स्कूल बनवाया।
गांधी जी के ऊपर हुआ केश और गए जेल:

उन्हे को मजिस्ट्रेट ऑफिस नोटिस आया, जिसमे यह चेतावनी दिया था की, आप चंपारण मे नहीं रह सकते है, पहली ट्रेन से वापस लौट जाए।

उनको ने नोटिस को न मानते हुये, चंपारण के किसानो के हित मे खड़े रहे। इस आदेश का पालन न करने पर इन्हे कोर्ट मे पेश किया गया। और वही मजिस्ट्रेट के द्वारा एक पत्र लिखा गया, जिसमे यह लिखा था की ” अगर आप इस जिले को छोड़ देते हैं और वापस नहीं लौटने का वादा करते हैं, तो आपके खिलाफ दर्ज किया गया मामला वापस ले लिया जाएगा”

इस पत्र का जवाब देते हुये गांधी जी ने यह लिखा की ” मैं मानवता और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने के लिए यहां आया हूं, चंपारण मेरा घर है और मैं यहां के पीड़ित लोगों के हित मे काम करेंगे” और इस जिले से मई अभी नहीं जाऊंगा।

इन सारे गतिविधि के बाद, पुलिस इनको हिराशत मे ले ली।और अशांति फैलाने के मामले मे गिरफतार कर लिया, ये खबर जब किसानो को मालूम पड़ा तब , सारे किसानो ने कोर्ट और थाना के सामने प्रदर्शन कर दिया, और उनको रिहा कर लिया गया।

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चंपारण कृषि समिति (Champaran Agragarian Committee) क्या है?

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इस सारे कारनामे से ब्रिटिश सरकार (अंग्रेज़) को इनके ताकत का अनुभव हो चुका था, फिर ब्रिटिश सरकार ने एक कमिटी बनाई। जिसे चंपारण कृषि समिति के नाम से जाना जाता है, महात्मा गांधी इस्स कमिटी के सदस्य थे।

कुछ ही महीने मे इसमे चंपारण कृषि विधेयक पारित कर दिया गया, जिसमे किसानो के खेती का अधिक मुआवजा एवं नियंत्रण देने का प्रस्ताव रखा गया। और ये प्रस्ताव सफल रहा।

इस प्रकार ने गांधी जी ने चंपारण के किसानो की मदद की। और चंपारण आंदोलन को सफल बनाया।

FAQ | Quick View:

आंदोलन का नाम (Name Of Movement) चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
क्यो किया गया था?किसानो के आजादी के लिए
कितने दिन तक चला?1 साल तक
चंपारण आंदोलन किसके नेतृत्व मे किया गया था?महात्मा गांधी
सत्याग्रह आंदोलन कहा पर किया हुआ था? चंपारण, बिहार, भारत
कब शुरू हुआ था ?19 अप्रैल, 1917
कौन- कौन नेता शामिल थे ?अनुग्रह नारायण सिन्हा,ब्रजकिशोर प्रसाद, राजेंद्र प्रसाद,
जे बी कृपलानी,रामनवमी प्रसाद, और इत्यादि
किसके अनुरोध पर गांधी चंपारण आये थे?राज कुमार शुक्ला और संत राउत
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